बेंगलुरु में महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी में डीजीएम के पद पर कार्यरत 34 वर्षीय अतुल सुभाष की आत्महत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले अतुल ने अपने घर में फांसी लगाकर जान दे दी। घटना के दौरान कमरे की दीवारों पर लिखा मिला, "न्याय अभी बाकी है"। शनिवार को बेंगलुरु पुलिस अतुल के घर पहुंची, जहां दरवाजा अंदर से बंद था। दरवाजा तोड़ने के बाद पुलिस ने देखा कि अतुल का शव फंदे से लटका हुआ था। कमरे की दीवारों पर उनके आखिरी शब्द लिखे हुए थे।
अतुल ने मरने से पहले 40 पन्नों का सुसाइड नोट और एक वीडियो रिकॉर्ड किया। इसमें उन्होंने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा, साले अनुराग सिंघानिया उर्फ पीयूष और अन्य को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि उनकी अस्थियां तब तक विसर्जित न की जाएं, जब तक सभी आरोपियों को सजा न मिल जाए। न्याय न मिलने की स्थिति में उनकी अस्थियां कोर्ट के बाहर गटर में बहा दी जाएं। उनके मरे हुए शरीर के पास उनकी पत्नी और उसके परिवार के सदस्य न आएं।
अतुल और निकिता की शादी पांच साल पहले हुई थी। कुछ समय बाद ही निकिता जौनपुर लौट गईं और अतुल के खिलाफ दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और अन्य धाराओं में मुकदमे दर्ज करा दिए। अतुल ने बताया कि पिछले दो सालों में कोर्ट की 120 सुनवाइयों में से 40 बार वह बेंगलुरु से जौनपुर आ चुके थे। निकिता ने तलाक के बदले हर महीने दो लाख रुपये गुजारा भत्ता और तीन करोड़ रुपये एलिमनी की मांग की थी।
अतुल ने सुसाइड नोट में न्याय प्रणाली और कोर्ट पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि जौनपुर फैमिली कोर्ट की जज ने उन पर तीन करोड़ रुपये एलिमनी देने का दबाव बनाया। साथ ही कोर्ट के पेशकार पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। रिश्वत न देने पर कोर्ट ने उनके खिलाफ हर महीने 80 हजार रुपये मेंटिनेंस का आदेश जारी कर दिया।
अतुल ने वीडियो में कहा, “मैं जो पैसा कमा रहा हूं, उसी से अपने दुश्मनों को बलवान बना रहा हूं। मेरे टैक्स के पैसे से यह पुलिस, कोर्ट और सिस्टम मुझे और मेरे परिवार को परेशान कर रहा है। मैं अपने जीवन को खत्म करना ही बेहतर समझता हूं।” अतुल का यह कदम समाज और कानून व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े करता है। उनका यह बयान, "अगर न्याय नहीं मिलता तो मेरी अस्थियां गटर में बहा देना", देश की न्याय प्रणाली और समाज की संवेदनहीनता को उजागर करता है।
बेंगलुरु पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि सुसाइड नोट और वीडियो के आधार पर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। अतुल की मौत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कानून व्यवस्था और समाज की जवाबदेही में भारी कमी है। यह घटना उन हजारों लोगों के लिए चेतावनी है, जो मानसिक तनाव और न्याय प्रणाली की जटिलताओं से जूझ रहे हैं। पुलिस और समाज पर यह जिम्मेदारी है कि वे इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए संवेदनशीलता और न्याय सुनिश्चित करें।