जौनपुर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के तत्वाधान में कायस्थ समाज ने चित्रगुप्त मंदिर में पूजा का आयोजन किया। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष के यम द्वितीया पर चित्रगुप्त जी की पूजा हर वर्ष दीपावली के अगले दिन की जाती है। इस वर्ष यह पूजा तीन नवंबर, रविवार को उदय तिथि के अनुसार विधि-विधान से आयोजित की गई।
रूहट्टा स्थित चित्रगुप्त मंदिर में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के नेतृत्व में कायस्थ समाज के स्वजातीय बंधुओं ने पूरे पारंपरिक एवं धार्मिक तरीके से पूजा-अर्चना की। आचार्य डॉ. रजनीकांत द्विवेदी के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण और सनातनी परंपरा के अनुसार हवन-पूजन संपन्न हुआ। पूजा के पश्चात भगवान चित्रगुप्त की आरती की गई और फिर प्रसाद का वितरण हुआ।
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के प्रदेश महासचिव एवं जिलाध्यक्ष राकेश श्रीवास्तव ने उपस्थित स्वजातीय बंधुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान चित्रगुप्त, भगवान ब्रह्मा के पुत्र और कायस्थ समाज के पूर्वज हैं। वे लेखनी और न्याय के देवता हैं, और सभी कलमजीवी समुदाय चाहे वे किसी भी जाति या बिरादरी के हों, उनका पूजन करना चाहिए। खासकर जो न्याय, वकालत, अकाउंटेंसी या लेखा-जोखा से जुड़े हैं, वे भगवान चित्रगुप्त को अपना आराध्य मानते हैं।
इस मौके पर कायस्थ समाज के वरिष्ठ संरक्षक आनंद मोहन श्रीवास्तव ने भगवान चित्रगुप्त के बारह पुत्रों - गौड़, माथुर, भटनागर, अस्थाना, श्रीवास्तव, अंबष्ठ, निगम, कुलश्रेष्ठ, सिन्हा, खरे, सक्सेना और कर्ण के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भगवान चित्रगुप्त कायस्थों के कुलदेवता हैं और उनके वंशज विभिन्न नामों से जाने जाते हैं।
इस अवसर पर कई स्वजातीय बंधुओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिनमें श्याम रतन श्रीवास्तव, दयाशंकर निगम, जय आनंद, शशि श्रीवास्तव, सरोज श्रीवास्तव, एससी लाल, मनीष श्रीवास्तव, डॉ. इंद्रसेन श्रीवास्तव, रवि श्रीवास्तव, प्रदीप श्रीवास्तव, विजय श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव, राकेश श्रीवास्तव साधु, श्यामलकान्त श्रीवास्तव, पंकज हैप्पी, अमित श्रीवास्तव और अन्य कई प्रमुख लोग शामिल थे।
कार्यक्रम का संचालन महासचिव संजय अस्थाना ने किया।