मछलीशहर, जौनपुर उपजिला मजिस्ट्रेट सौरभ कुमार द्वारा बुधवार रात तहसील परिसर में अधिवक्ताओं की कुर्सी और मेज को हटवाए जाने के बाद, गुरुवार सुबह अधिवक्ता भारी आक्रोश में आ गए। तहसील खुलते ही बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं ने तहसील में हंगामा शुरू कर दिया और नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए।
अधिवक्ताओं ने तहसील के मुख्य गेट को बंद कर दिया और सभी न्यायालयों में ताले लगवा दिए। जब उपजिला मजिस्ट्रेट की गाड़ी गेट पर पहुँची, तो अधिवक्ताओं ने वाहन को घेर लिया और "वापस जाओ, वापस जाओ" के नारे लगाते हुए उन्हें तहसील के अंदर जाने से रोक दिया। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए क्षेत्राधिकारी *गिरेंद्र सिंह* ने तुरंत कई थानों की पुलिस फोर्स बुला ली।
पुलिस बल की तैनाती
काफी कोशिशों के बाद उपजिला मजिस्ट्रेट को पैदल उनके कार्यालय में ले जाया गया, जबकि उनका वाहन कई घंटे तक अधिवक्ताओं के कब्जे में रहा। इस बीच, अधिवक्ताओं ने उपजिला मजिस्ट्रेट के साथ किसी भी वार्ता का बहिष्कार किया। उनका आरोप था कि बिना किसी नोटिस के उनकी कुर्सी-मेज रात के अंधेरे में हटवा दी गई, जिसे उन्होंने "तानाशाही रवैया" करार दिया।
अधिवक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि शासन के निर्देश पर हटाए गए प्राइवेट कर्मचारियों को वापस बुलाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है, और जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो बदले की भावना से यह कार्रवाई की गई।
न्यायिक कार्य ठप
उपजिला मजिस्ट्रेट और उपजिलाधिकारी न्यायिक *शैलेंद्र कुमार* दिन में करीब 1 बजे अपने कार्यालय में बैठे, लेकिन कोई भी अधिवक्ता न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ। अधिवक्ताओं के बहिष्कार के चलते न्यायालयीय कार्य पूरी तरह ठप रहा।
उपजिला मजिस्ट्रेट का पक्ष
उपजिला मजिस्ट्रेट सौरभ कुमार ने कहा, "मैंने अधिवक्ताओं को पहले ही अतिक्रमण हटाने की चेतावनी दी थी, और जब उन्होंने बात नहीं मानी, तो मुझे यह कदम उठाना पड़ा।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि अधिवक्ता न्यायिक कार्य में बाधा डालते हैं, तो कोर्ट पुलिस सुरक्षा में बिना अधिवक्ताओं के ही चलेगी।
तहसील में भारी पुलिस बल की तैनाती
आसन्न तनाव को देखते हुए तहसील परिसर के हर हिस्से में आधा दर्जन थानों की पुलिस बल तैनात कर दी गई। स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन अधिवक्ताओं और प्रशासन के बीच तनाव बरकरार है।