Jaunpur विश्व हृदय दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को कृष्णा हार्ट केयर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसके साथ ही शहर में एक जागरूकता रैली भी निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया और हृदय स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का संदेश दिया।
संगोष्ठी में वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एच. डी. सिंह ने बताया कि पूरी दुनिया हृदय रोगों से होने वाली मौतों से चिंतित और खौफजदा है। हर साल लगभग 25 लाख लोगों की मौत हृदय रोगों से उत्पन्न जटिलताओं के कारण होती है। अचानक होने वाली मौतों में, दुर्घटनाओं के बाद, सबसे अधिक मौतें हृदयाघात से होती हैं। यदि समय रहते हम सतर्क नहीं हुए, तो भारत हृदयरोगियों का गढ़ बन सकता है।
डॉ. सिंह ने बताया कि पश्चिमी और विकसित देशों में जागरूकता और सतर्कता के कारण हृदय रोगियों की संख्या में कमी आई है। 70 और 80 के दशक में हृदयाघात को पश्चिमी देशों और अमीरों का रोग माना जाता था, क्योंकि मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान और निष्क्रिय जीवनशैली वहां के अमीर वर्ग में आम थे। लेकिन बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था, औद्योगीकरण और प्रतिस्पर्धा के चलते ये समस्याएं अब समाज के हर कोने तक पहुँच गई हैं।
भारत में तेजी से मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापे के मामले बढ़ रहे हैं। धूम्रपान और नशे की आदतें भी बढ़ती जा रही हैं। हृदयाघात की घटनाएं प्रतिदिन किसी न किसी परिवार को संकट में डाल रही हैं। हृदयाघात से होने वाली मृत्यु दर 40% तक है। इलाज का खर्च भी एक बड़ा मुद्दा है, क्योंकि 40% से अधिक आबादी महंगे और समय पर इलाज का खर्च वहन नहीं कर सकती।
डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि यदि हम जागरूक हो जाएं और मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और नशे से दूरी बनाए रखें, तो हृदयाघात के दुष्परिणामों से बच सकते हैं। हमें संयमित जीवनशैली अपनानी होगी, जिसमें वजन नियंत्रण, रक्तचाप और मधुमेह का सही इलाज, और नशे से बचाव शामिल है। इसके अलावा, व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करने और प्राकृतिक आहार को अपनाने से भी हृदय रोगों से बचा जा सकता है।
*संकल्प लें* कि हम स्वस्थ जीवनशैली अपनाएंगे, नियमित व्यायाम करेंगे, और दिल के दुश्मनों से दूर रहेंगे।