शाहगंज
कोतवाली क्षेत्र के सुरिस गांव में खुदकुशी की घटनाओं से दहशत का माहौल फिर से गहरा गया है। सोमवार को 15 वर्षीय रजनी बिंद ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। यह घटना गांव में पिछले एक साल में हुई चौथी खुदकुशी है, जिससे गांव में एक बार फिर भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है।
गांव के लोगों का कहना है कि रजनी की दो सहेलियां, सुमन और खुशी, भी पिछले साल इसी तरह फांसी लगाकर अपनी जान दे चुकी थीं। सुमन की मौत के दस दिन बाद खुशी ने फांसी लगाई थी, और अब 14 महीने बाद रजनी ने भी यही रास्ता चुन लिया। इन घटनाओं के बाद गांव में चारों ओर अफवाहों और अंधविश्वास का दौर चल पड़ा है। कुछ लोग इन मौतों को भूत-प्रेत से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि यह महज संयोग है।
सुमन, खुशी, और अब रजनी की मौत से फिर से दहशत
पिछले सोमवार को रजनी ने अपने घर से 200 मीटर दूर एक टीन शेड के मकान में दुपट्टे से फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। इस घटना के बाद गांव में एक बार फिर पुरानी घटनाओं की यादें ताजा हो गईं। गांव के कई लोग यह मानने लगे हैं कि इन मौतों के पीछे कोई अदृश्य शक्ति काम कर रही है।
गांव निवासी शोभावती ने बताया कि पहले एक के बाद एक तीन मौतों के बाद पूरे गांव में पूजा-पाठ कराकर शांति स्थापित की गई थी, लेकिन अब फिर से लोग डरे हुए हैं। गांव की महिलाएं इस बात से सहमी हुई हैं कि कहीं फिर से ऐसी घटनाएं न हो जाएं।
भय और अंधविश्वास का माहौल
गांव की एक अन्य निवासी सीता देवी ने बताया कि जब पहले तीन मौतें हुई थीं, तब उसे भी रात में किसी अदृश्य शक्ति ने फांसी लगाने के लिए प्रेरित किया था। सौभाग्य से, घर के लोगों ने उसे बचा लिया। उस घटना के बाद गांव में पूजा-पाठ कराकर माहौल को शांत किया गया था, लेकिन अब रजनी की मौत के बाद गांव में फिर से डर और असुरक्षा का माहौल बन गया है।
गांव के लोगों का कहना है कि चारों मृतक लड़कियों की उम्र 15 से 21 वर्ष के बीच थी और यह घटनाएं तब होती हैं जब घर में कोई मौजूद नहीं होता। लोग इसे भूत-प्रेत का मामला मान रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे महज संयोग मानते हैं।
प्रशासन का प्रयास
इस भय और अंधविश्वास के बीच, क्षेत्राधिकारी अजीत सिंह चौहान ने कहा कि गांव में मिशन शक्ति की टीम भेजी जा रही है, जो लोगों को जागरूक करेगी और उन्हें इन घटनाओं के पीछे की सच्चाई से अवगत कराएगी। प्रशासन का प्रयास है कि गांव में फैले इस अंधविश्वास और भय को खत्म किया जाए और लोग जागरूक होकर इन घटनाओं का सामना करें।
गांव के लोग अब इन घटनाओं से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन खुदकुशी की यह वारदातें उनके मन में डर और असुरक्षा का भाव पैदा कर रही हैं।