डीआईजी (क्राइम) बन साइबर ठग ने किराना व्यवसायी को लगाया 26 हजार का चूना

आशीष श्रीवास्तव
0


FAKE PROFILE PIC DIG CRIME 



सिकरारा, हिंदुस्तान संवाद क्षेत्र के शेरवा (प्रेमराजपुर) के एक किराना व्यवसायी से डीआईजी बनकर साइबर ठगों ने ₹26 हजार की ठगी कर ली। व्यवसायी जनार्दन कुमार सिंह का बेटा लखनऊ में इलेक्ट्रॉनिक दुकान चलाता है। रविवार की शाम 7 बजे, मोबाइल नम्बर 923269454719 से व्हाट्सएप कॉल करने वाले ने खुद को डीआईजी क्राइम परितोष कुमार बताकर जनार्दन से कहा कि उनका बेटा लखनऊ में मर्डर केस में फंस गया है और उसे जेल भेजा जा सकता है।

JANARADAN KUMAR SINGH 



ठग ने बताया कि उनका बेटा एक होटल में तीन दोस्तों के साथ खाना खा रहा था, तभी मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने छापा मारा और चारों को हिरासत में ले लिया। ठग ने दावा किया कि वे तीनों युवक एक मर्डर केस के आरोपी थे, और उनमें से एक की उनके बेटे से टेलीफोनिक बातचीत हुई थी, जिससे वह भी केस में फंस गया। ठग ने जनार्दन को धमकाते हुए कहा कि अगर उन्होंने 50 हजार रुपये UBI के खाता संख्या 167212010002000 (IFSC कोड UBINo816728) पर जमा नहीं किए, तो उनका बेटा जेल भेज दिया जाएगा।


डर से कांपते जनार्दन को ठग ने फोन पर यह भी हिदायत दी कि किसी से बात मत करो और फोन को चालू हाल में अपनी शर्ट की जेब में रखो ताकि उनकी हर बातचीत सुनी जा सके। बीच में उसने एक युवक से बात कराई जिसकी आवाज जनार्दन के बेटे से मिलती-जुलती थी। वह युवक फोन पर जनार्दन से कह रहा था, "पापा, मुझे बचा लीजिए, मैं बहुत बुरी तरह फंस चुका हूं।"


जनार्दन इतने डर गए कि उन्होंने अपने परिवार या किसी परिचित से कुछ नहीं बताया और तत्काल 26 हजार रुपये जुटाकर ठग के बताए खाते में ट्रांसफर कर दिए। अनुनय-विनय के बावजूद ठग ने कहा कि उनका बेटा उसकी निजी हिरासत में है और सोमवार को 10 बजे फोन करेगा। जनार्दन ने फोन कटने के बाद अपने बेटे से संपर्क किया, तब उन्हें ठगे जाने का एहसास हुआ।


चौंकाने वाली बात यह थी कि ठग ने अगले दिन ठीक 10 बजे फिर फोन किया, लेकिन तब तक जनार्दन ठगी का सच जान चुके थे और उन्होंने फोन नहीं उठाया। पहले तो उन्होंने किसी से इस बारे में बात नहीं की, लेकिन धीरे-धीरे यह बात फैल गई। फिलहाल, उन्होंने पुलिस में शिकायत नहीं दर्ज कराई है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top