डीएम की त्वरित कार्रवाई से खत्म हुआ सात साल का इंतजार, गांव में प्रशंसा की लहर

आशीष श्रीवास्तव
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जौनपुर। आमतौर पर सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते-लगाते लोग थक जाते हैं, लेकिन जब अधिकारी खुद समस्या की जड़ तक पहुंचकर समाधान करें, तो बात कुछ अलग ही होती है। ऐसा ही कुछ हुआ जौनपुर के सिकरारा थाना क्षेत्र के पोखरियापुर गांव में, जहां जिला अधिकारी (डीएम) डॉ. दिनेश चंद्र सिंह ने एक मामले को खुद संज्ञान में लेकर न सिर्फ उसका हल निकाला, बल्कि अपनी त्वरित कार्रवाई से पूरे गांव में सराहना बटोरी।


सात साल से न्याय की आस

प्रेमचंद्र, जो सात साल से वारासत की गलती को सुधारने के लिए प्रशासन के दरवाजे खटखटा रहे थे, आखिरकार आज उन्हें राहत मिली। प्रेमचंद्र ने जनसुनवाई में शिकायत की थी कि उनकी मां धर्मा देवी की मृत्यु के बाद 2017 से उनकी जमीन की खतौनी में गलत तरीके से ओमप्रकाश जयप्रकाश गुप्ता का नाम चढ़ा दिया गया था, जबकि उनके पिता का नाम सुंदरी प्रसाद होना चाहिए था। पिछले सात साल से प्रेमचंद्र लगातार इस गलती को ठीक करवाने के लिए प्रयासरत थे, लेकिन नतीजा शून्य ही था।


डीएम की ज़मीनी पहल

इस मामले में तब नया मोड़ आया जब डीएम डॉ. दिनेश चंद्र सिंह ने खुद इस शिकायत को गंभीरता से लिया। प्रेमचंद्र की अनुपस्थिति के बावजूद डीएम ने शहर से बाहर होने के कारण शिकायतकर्ता से मुलाकात किए बिना ही गांव में पहुंचकर मामले की पूरी छानबीन की। गांव वालों से पूछताछ कर और कागजी दस्तावेज़ों की पुष्टि करने के बाद, डीएम ने तत्काल खतौनी में सही नाम दर्ज करने के निर्देश जारी कर दिए।  


गांव में डीएम की तारीफ  

डीएम की इस त्वरित कार्रवाई ने पूरे गांव में सराहना की लहर पैदा कर दी है। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा ऐसी जमीनी कार्रवाई कम ही देखने को मिलती है, और यही कारण है कि लोग डीएम के इस कार्य की मिसाल देते नहीं थक रहे। जहां प्रेमचंद्र सात सालों से भटक रहे थे, वहां डीएम ने सिर्फ एक दिन में उनकी समस्या का समाधान कर दिया।


डीएम की इस अनोखी पहल ने न सिर्फ प्रेमचंद्र को न्याय दिलाया, बल्कि गांव के लोगों को यह भरोसा दिलाया कि प्रशासन सही समय पर सही कदम उठाकर उनकी समस्याओं का समाधान कर सकता है।

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