उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में बिजली विभाग द्वारा एक उपभोक्ता का कनेक्शन बिना किसी ठोस वजह के आधी रात को काटने के मामले में बड़ा मोड़ आया। उपभोक्ता ने न्याय की गुहार लगाई, जिसके परिणामस्वरूप कोर्ट ने विभाग को हर्जाना देने का आदेश दिया। जब बिजली विभाग ने हर्जाना नहीं दिया, तो कोर्ट ने विभाग के पूरे दफ्तर को ही सील कर दिया, जिससे पूरे विभाग में हड़कंप मच गया।
मंगलवार शाम को अपर जिला जज के आदेश पर लालदरवाजा स्थित बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता और विद्युत वितरण खंड प्रथम समेत अन्य कार्यालयों को सील कर दिया गया। कोर्ट के आदेशानुसार, यह सीलिंग एक महीने तक जारी रहेगी। इस अप्रत्याशित घटना से बिजली विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों में अफरातफरी का माहौल बन गया है।
घटना की जड़ें वर्ष 1980 में शहर के माल गोदाम रोड निवासी बाबूलाल साहू के घर तक जाती हैं, जहां उन्होंने आटा चक्की, कोल्हू, और अन्य मशीनें लगाई थीं। एक रात बिजली विभाग ने छापेमारी कर उनकी बिजली काट दी। इस कार्रवाई के खिलाफ बाबूलाल साहू ने कोर्ट में अपील की। कोर्ट ने बाबूलाल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए न केवल बिजली काटने से रोका, बल्कि 1980 से लेकर 1 मई 2014 तक हर महीने 4000 रुपये की क्षतिपूर्ति के रूप में 16.32 लाख रुपये देने का आदेश दिया।
हालांकि, कोर्ट के आदेश के बावजूद बिजली विभाग ने इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके परिणामस्वरूप, 13 अगस्त को कोर्ट ने बिजली विभाग की संपत्ति को सील करने का आदेश दिया। कोर्ट अमीन दिलीप यादव और कोतवाली पुलिस की मौजूदगी में लालदरवाजा स्थित बिजली विभाग के कार्यालयों को एक-एक कर खाली कराकर सील किया गया।
इस परिसर में अधीक्षण अभियंता, विद्युत वितरण खंड प्रथम, और मीटर विभाग के अधिशासी अभियंता के कार्यालय शामिल हैं, जहां सैकड़ों कर्मचारी कार्यरत हैं। इस घटना के बाद, बिजली विभाग के किसी भी अधिकारी ने मीडिया के सामने बोलने से इनकार कर दिया है।
गौरतलब है कि इस मुकदमे को बाबूलाल साहू की तीसरी पीढ़ी, गणेश साहू, ने कोर्ट में लड़ा। 44 साल के संघर्ष के बाद, अंततः गणेश साहू को न्याय मिला, जिससे यह मामला एक मिसाल बन गया है।