पश्चिम बंगाल सरकार ने शनिवार को 43 डॉक्टरों के तबादले के आदेश को वापस ले लिया है। इनमें से 10 डॉक्टर आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल से थे। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि तबादला प्रक्रिया दो महीने पहले शुरू की गई थी और यह एक नियमित प्रक्रिया थी। हालांकि, इस फैसले का भाजपा और डॉक्टरों के एसोसिएशन ने विरोध किया था।
डॉक्टरों के विरोध के बाद सरकार का कदम
आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या की घटना के विरोध में हो रहे आंदोलन के बीच, राज्य सरकार ने एक साथ 43 डॉक्टरों का तबादला किया था। इस कदम का चौतरफा विरोध हुआ, जिसके चलते मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर तबादला आदेश स्थगित कर दिया गया। स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम ने बताया कि तबादले की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी थी, लेकिन विरोध के बाद इसे रोक दिया गया।
भाजपा ने लगाया तालिबानी फरमान का आरोप
भाजपा ने इस तबादला आदेश को "तालिबानी फरमान" करार दिया और इसे डॉक्टरों के आंदोलन का परिणाम बताया। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि ममता सरकार सच को दबाने और दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है। साथ ही, उन्होंने कहा कि सरकार सुबूतों को नष्ट करने के लिए भी प्रयासरत है।
तृणमूल सांसद ने गृहमंत्री को लिखा पत्र
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर राय ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाने की मांग की है। उन्होंने संसद के शीतकालीन सत्र में इस विषय पर विधेयक लाने का आग्रह किया।
तोड़फोड़ मामले में 30 गिरफ्तार
इस बीच, भाजपा और माकपा ने आरोप लगाया है कि आरजी कर अस्पताल में तोड़फोड़ की घटना में तृणमूल के पार्षदों के करीबी शामिल थे। पुलिस ने इस मामले में 30 लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी से जुड़े लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है।